चीख़ता अलेप्पो



दो महाशक्तियों की लड़ाई में फंसा 6300 साल पुराना शहर अलेप्पो अब पूरी तरह से

बर्बाद हो चुका है। कभी सीरिया की फाइनेंशियल कैपिटल रहा अलेप्पो शहर आज 

दुनिया से मदद माँग रहा है। अलेप्पो को महाशक्तियों ने आपस में बांट लिया है.

कोई विद्रोहियों के साथ के नाम पर आतंकवादियों को फंड कर रहा है तो कोई 

आतंकवाद को कुचलने के नाम पर सामान्य नागरिकों का कत्लेआम कर रहा 

है पांच साल से चल रहे ग्रह युद्ध के बाद से यहां सरकारी फ़ौज का क़ब्ज़ा 

है लेकिन एक छोटे से पूर्वी हिस्से में फसे आम लोग आज चर्चा का विष्य हैं। यहाँ 

बिना सोचे समझे बमों की बरसात हुई है. अस्पताल ध्वस्त हैं. सड़कों पर घायल 

लाशों की तरह बिछे हैं. बच्चेऔरतें सभी दुनिया से मदद की अपील कर रहे हैं. 

दुनिया खामोश है. बीते एक महीने में 400 से अधिक नागरिक मारे गए हैं। संयुक्त 

राष्ट्र में सीरिया पर हुई आपातकाल बैठक में जहाँ अमेरीका और रुस के राजदूतों 

के बीच तीख़ी बहस हुई वहीं दो दिन पहले पूर्वी अलेप्पो को खाली कराने का शुरू  

 हुकाम अचानक शुक्रवार को रोक दिया गया। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 

 सीरिया में असद की सरकाररूस और ईरान की सेना ने 80 नागरिकों को उड़ा 

दिया है। अमेरीकि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि, 'आज दुनिया सीरिया के 

डरावने हालातों में एक साथ है और इसके लिए सीरिया के शासनसीरिया के साथी 

रूस और ईरान की वजह से अलेप्‍पो में लोगों को मारा जा रहा है। सीरिया में बह 

रहा खून अब इन लोगों के हाथों पर ही है।' लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन का कहना 

है कि वह पूर्ण संघर्ष विराम लगवाने के लिए  अपने साथी सीरिया के साथ-साथ 

 दुश्मन टर्की से भी बात करने को राज़ी हैँ। लेकिन मौजूदा हालात तो यही कहते हैं  
कि "ALEPPO IS SYNONYM FOR HELL."   







 

Comments

Popular posts from this blog

Prestige affair for Khattar

Khattar 2.0: A victory that isn’t

हरियाणा की सियासत और दिलों पर क्यों हावी बाबा राम रहीम ?